ज्योतिष शास्त्र में 9 ग्रहों का हमारे जीवन पर गहरा असर होता है। इन ग्रहों के शुभ और अशुभ योग से हमारे जीवन की दिशा तय होती है। इसलिए कहा जाता है कि ग्रहों का कुंडली में शुभ होना जरूरी है। हालांकि किसी भी ग्रह के शुभ और अशुभ दशा को नहीं रोक सकते हैं। लेकिन उसके प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए कुछ उपाय जरूर कर सकते हैं। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको 9 ग्रहों के शुभ प्रभाव पाने के लिए कुछ उपाय बताने जा रहे हैं। ऐसे में हम आपको बताएंगे कि किस ग्रह के लिए कौन सा दीपक जलाना चाहिए और किस दिन जलाना चाहिए। साथ ही यह भी जानेंगे कि इन उपायों को करने से क्या लाभ होगा।
सूर्य ग्रह के लिए दीपक
सूर्य ग्रह को पिता, आत्मबल, सम्मान और नेत्रों का कारक माना जाता है। इसको प्रसन्न करने के लिए रविवार के दिन सुबह सूर्योदय के समय तांबे या मिट्टी के दीपक में घी का दीपक जलाकर पूर्व दिशा में रखें। दीपक के पास लाल फूल, जल, गुड़ अर्पित करें और अर्घ्य दें। फिर 'ऊँ घृणि सूर्याय नम:' मंत्र का 11, 21, या 108 बार जप करें। इस उपाय को करने से सरकारी कार्यों में सफलता मिलती है, नेत्र और त्वचा के रोगों से राहत मिलती है और आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।
मंगल ग्रह के लिए दीपक
ज्योतिष में मंगल ग्रह को साहस, भाइयों, भूमि, रक्त और ऊर्जा से जुड़ा माना जाता है। इसलिए मंगलवार के दिन तांबे या फिर मिट्टी के दीपक में तिल के तेल का दीपक जलाएं और इसको दक्षिण दिशा में रखें। फिर लाल वस्त्र, लाल फूल और मसूर की दाल अर्पित करें। 'ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः' मंत्र का जप करें। इस उपाय को करने से रक्त दोष, मांगलिक दोष, भूमि विवादों और क्रोध से राहत देने वाला माना जाता है।
बुध ग्रह के दीपक
बुध ग्रह को वाणी, व्यापार, संचार, गणना और बुद्धिमत्ता का कारक माना जाता है। बुधवार को कांसे या फिर पीतल के दीपक में शुद्ध घी का दीपक जलाकर उत्तर या फिर ईशान कोण दिशा में रखना चाहिए। इस दौरान हरी मूंग, दूर्वा, पान और इचायली अर्पित करना चाहिए और 'ऊं ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः' मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। इस उपाय को करने से वाणी में आकर्षण, व्यापारिक निर्णय में सफलता और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
गुरु ग्रह के लिए दीपक
ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह को धन, धर्म, ज्ञान, संतान और विवाह का प्रतीक माना जाता है। इसलिए हर बृहस्पतिवार को पीतल या मिट्टी के दीपक में शुद्ध घी का दीपक जलाकर उत्त-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। फिर वहीं पर हल्दी, बेसन के लड्डू, पीले फूल और पीली मिठाई अर्पित करनी चाहिए। इस दौरान 'ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः” मंत्र का जप करें', इस उपाय को करने से उच्च शिक्षा, वैवाहिक जीवन में सुख और धन-समृद्धि आती है।
शुक्र ग्रह के लिए दीपक
शुक्र गह को स्त्रियां, विवाह, भोग, कला, ऐश्वर्य और आनंद से जुड़ा माना जाता है। इस दिन चांदी या मिट्टी के दीपक में सफेद तिल के तेल या घी का दीपक जलाएं। फिर इस दीपक को पूर्व दिशा में रखें। अब चंदन, सफेद फूल, दही-चावल या खीर का भोग अर्पित करें। साथ ही 'ऊँ शुं शुक्राय नम:' मंत्र का जप करें। इस उपाय को करने से आर्थिक ऐश्वर्य, दांपत्य सुख और कला क्षेत्र में प्रसन्नता मिलती है।
चंद्र ग्रह के लिए दीपक
ज्योतिष में चंद्रमा को मन, माता, जल तत्व और भावनाओं का प्रतीक माना जाता है। सोमवार की रात या चंद्रमा के उदय के समय सफेद रंग के दीपक में घी या कपूर का दीपक जलाएं और इसको पश्चिम दिशा में रखें। अब दीपक के पास चावल, शक्कर, सफेद फूल और शंख अर्पित करें। इस दौरान 'ऊँ चं चंद्राय नम:' मंत्र का जाप करें। इस उपाय को करने से माता का स्वास्थ्य, मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन प्राप्त होता है।
शनि ग्रह के लिए दीपक
शनि देव को कर्म, न्याय, दुख, कर्मफल और सेवा से जुड़ा माना जाता है। इसलिए शनिवार को काले मिट्टी या लोहे के दीपक में सरसों का तेल डालकर दीपक जलाना चाहिए। फिर दीपक को पीपल के वृक्ष के नीचे या फिर घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में रखना चाहिए। इस दीपक में लौंग डालें और 'ऊँ शं शनैश्चराय नम:' मंत्र का 108 बार जाप करें। इस उपाय को करने से कष्ट, साढ़ेसाती, कोर्ट-कचहरी और तमाम बाधाओं से मुक्ति दिलाता है।
राहु ग्रह के लिए दीपक
बता दें कि राहु ग्रह को छल, विदेशी संपर्क, तंत्र और अचानक दुर्घटनाओं से संबंधित होता है। इसको कंट्रोल करने के लिए बुधवार या शनिवार को मिट्टी या लोहे के दीपक में सरसों का तेल डालकर जलाना चाहिए। दीपक को घर के दक्षिण-पश्चिम कोने या तुलसी के पास रखें। साथ में नीले फूल और उड़द की दाल रखें। इस दौरान 'ऊँ रां राहवे नम:' मंत्र का जप करें। इससे राहु के प्रभाव से मानसिक भ्रम, भय और दुर्घटनाओं से भी रक्षा होती है।
केतु ग्रह के लिए दीपक
केतु ग्रह मोक्ष, आध्यात्म, वियोग, अनजाने भय और पूर्व जन्म के संस्कार का कारण होता है। इसके लिए मंगलवार या शनिवार को दीपक में सरसों का तेल भरकर रखें और दक्षिण दिशा में जलाएं। वहीं काले तिल, नीम पत्ती और धूप जलाएं और 'ऊँ कें केतवे नम:' मंत्र का जप करें। यह उपाय मानसिक भ्रम, आकस्मिक संकट और आत्मिक असंतुलन से मुक्ति देता है।